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विश्व केडेट स्पर्धा :: भारत नें झटके सर्वाधिक पदक

31/10/2016 -

बेतुमी ,(जॉर्जिया) दीपावली के दिन सिर्फ हाँकी ही नहीं शतरंज से भी भारत को पदको का तोहफा मिला और बड़ी बात ये की यहाँ से तोहफा छोटे छोटे नन्हें मुन्नो ने दिलाया । पिछले 12 दिनो से चल रहे मुकाबलों में अंततः भारत अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा  पर निश्चित तौर पर दुनिया की नजर अब भारतीय खिलाड़ियों पर होती है  ऐसे में हमें अपनी तैयारी और बेहतर करने की जरूरत है  । मुख्य तौर पर 8 वर्ष से लेकर 16 वर्ष तक के समूह में होने वाली विश्व स्पर्धाओं को खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण विश्व शतरंज संघ द्वारा इसे इस वर्ष से 8 और 12 वर्ष आयु वर्ग में विश्व केडेट स्पर्धा के रूप में एक नया नाम दिया गया । दुनिया भर के 66 देशो के 722 नन्हें सितारे इस विश्व स्पर्धा में भाग लेने बेतुमी में एकत्र हुए । भारत नें इस बार 28 नन्हें बच्चे कुल छह आयु वर्ग में प्रतियोगिता में उतारे थे और उतार चढ़ाव भरी रही इस प्रतियोगिता में अंततः भारत नें कुल 18 पदको में से चार पदक अपने नाम किए हालांकि स्वर्ण पदक की कमी के चलते भारत पदक तालिका में अमेरिका ,रूस ,तुर्कमेनिस्तान और कजाकिस्तान के बाद पांचवे स्थान पर रहा पर एक रजत और तीन कांस्य जीतकर भारतीय टीम नें भारत के तिरंगे को समूचे विश्व के सामने सम्मानित करते हुए ही अपना विश्व केडेट का सफर पूरा किया । 

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विश्व केडेट स्पर्धा :: ऐ दिल - है मुश्किल

29/10/2016 -

विश्व शतरंज में भारत के बढ़ते प्रभाव पर दुनिया भर में लेख लिखे जा रहे है ,शीर्ष स्तर पर हमारे देश के खिलाड़ी नित नए आयाम स्थापित कर रहे है हरिकृष्णा , विदित ,अधिबन ,सेथुरमन,हरिका ,हम्पी ,अभिजीत और ऐसे अनगिनत सितारे पिछले एक दशक में विश्व यूथ जैसी स्पर्धाओ से निकल कर विश्व पटल पर छा गए है । अखिल भारतीय शतरंज संघ के द्वारा खड़ा किया गया देश में शतरंज का विकास क्रम दुनिया भर में सराहा गया है । पर इस बीच पहली बार आयोजित हुई विश्व केडेट स्पर्धा में भारत का प्रदर्शन उतना प्रभावशाली नहीं हो पा  रहा था की दसवे राउंड में भारत के लिए एक बड़ा झटका लगा है भारत की पदक की उम्मीद नजर आ रहे बालक वर्ग में  प्रग्गानंधा और निहाल इसी तरह बालिका वर्ग में मृदुल और दिव्या  को आपस में मुक़ाबला खेलना होगा ऐसे में ड्रॉ जहां मेडल की उम्मीद धूमिल कर सकता है तो जीत -हार किसी एक को पदक की दौड़ से बाहर । खैर उम्मीद है अंत में भारत के खाते में पदक जरूर आएंगे पर तब तक तो यही कहना होगा .. ऐ दिल है मुश्किल ..

कबड्डी .. कबड्डी .. कबड्डी .. भारत बना विश्व चैम्पियन

23/10/2016 -

शतरंज की तरह एक और खेल भारत में जन्मा जिसमें भारत की मिट्टी की ताकत भी है । हमारे देश में आज के इस क्रिकेटमयी युग में जंहा क्रिकेट के विश्व कप जीतने पर हम सब सड़कों पर निकलकर डांस करने लगते है आतिशबाज़ी करने लगते है कबड्डी में भारत का विश्व कप जीतना शायद उतनी बड़ी खबर ना समझी जाए पर  कल रात जब मैंने हमारे देश में जन्मे इस खेल के फ़ाइनल मुक़ाबले में भारत को ईरान से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए देखा तो मन गर्व से भर उठा , देखा तो लगा शायद फुटबाल की तरह की फुर्ती ,बैडमिंटन की तरह की  तेजी ,शतरंज की तरह बुद्धिमानी और एकाग्रता ,कुश्ती की तरह दांव लगाने की महारत और किसी भी अन्य खेल की तरह वापसी करने की क्षमता इस खेल में समाई हुई है और इसे खेलना जंहा काफी रोचक है तो इसे खेलने वालों की मेहनत किसी अन्य खेल के खिलाड़ी से ज्यादा ही मालूम पड़ती है । खैर भारत की कबड्डी टीम नें लगातार तीसरी बार कबड्डी का विश्व कप जीत लिया है और इससे पहले भारत एशियन खेलो में लगातार 7 स्वर्ण पदक जीत चुका है ! विश्व भर से प्रतिनिधित्व कर रही विभिन्न देशो की टीमों के बीच भारत की विश्व विजयी टीम को बधाई !! 

होगेवीन - भारतीय खिलाड़ियों को रोकना हुआ असंभव !!

21/10/2016 -

भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा विश्व शतरंज में बढ़ रहा है यह बात यूं ही नहीं कही जा रही दरअसल पिछले कुछ  समय  में या यूं कहे पिछले कुछ सालो में भारतीय खिलाड़ियों की प्रतिभागिता भारत के बाहर के टूर्नामेंट में तेजी से बढ़ी है । परिणाम स्वरूप खिलाड़ियों को भरपूर मौके मिल रहे है अपनी प्रतिभा दिखाने के। होगेवीन ,नीदरलैंड में चल रहे 20वें होगेवीन ग्रांड मास्टर टूर्नामेंट में भारत के खिलाड़ियों नें शुरुआत से ही दबदबा रखा  है और सात राउंड के बाद क्या आप यकीन  करेंगे  सात भारतीय खिलाड़ी शीर्ष 10 में शामिल है ! भारत के ग्रांड मास्टर अभिजीत गुप्ता और रोहित ललित बाबू 6.5 अंक बनाकर +2800 का प्रदर्शन कर रहे है  और उनसे पूरे एक अंक पीछे तीसरे स्थान पर भी भारतीय ग्रांड मास्टर संदीपन चंदा है । प्रतियोगिता में भारत की एकमात्र महिला खिलाड़ी ईशा करवाड़े भी 5 अंक बनाकर चौथे स्थान पर है तो युवा राकेश जेना ग्रांड मास्टर नोर्म के करीब है ,आखिर भारत के लिहाज से एक प्रतियोगिता से हम इससे ज्यादा क्या उम्मीद कर सकते है ..पढे यह लेख 

एक नयी सोच :: माँ का नाम भी तो उतना ही जरूरी है !

17/10/2016 -

माँ हम सबके के अंदर गहराई तक समाया हुआ एक एहसास है ,माँ शब्द सुनकर ही जैसे शरीर में ऊर्जा की लहर दौड़ जाती है ,आप कितनी भी परेशानी में हो माँ का नाम ही बहुत होता है दोबारा उठ खड़े होने के लिए । माँ से हर बात बांटी जा सकती है ,आप कुछ भी करो उसकी दुआएं हमेशा साथ होती है ,एक माँ ही है जिससे बिना शर्त समर्थन की उम्मीद करते है ।! हर एक खिलाड़ी की सफलता के पीछे उसकी माँ का विशेष योगदान होता है । एक शतरंज खिलाड़ी के लिए उसकी माँ का का योगदान और बड़ा हो जाता है क्यूंकी अधिकतर वो ही उन्हे टूर्नामेंट खिलाने ले जाती है । भारतीय क्रिकेट टीम के सितारे धोनी ,विराट और अजिंक्य ने स्टार प्लस के साथ मिलकर माँ को समर्पित एक मुहिम चलाई है- माँ का नाम भी जरूरी है उतना ही जितना पिता का  । चेसबेस इंडिया परिवार भी इस मुहिम का समर्थन करता है । इस लेख को पढे और अपनी माँ के साथ अपनी फोटो हमें भेजे और आप सभी की  दास्तां को हम चेसबेस पर प्रकाशित करेंगे ! !!

 

 गौर​व और वैशाली - भारत के जूनियर नेशनल चैम्पियन

16/10/2016 -

वो हार मानना नहीं जानते वो अब दबाव में नहीं आते , चाहे जो भी हो वो वापसी करना और जीतना जानते है , भारत जिसके लिए सदियों से विख्यात रहा वो सार्वकालिक गुण  इस पीढ़ी में फिर से नजर आने लगे है , भविष्य के ये सितारे भारत को  बहुत आगे ले जाएंगे !! माँ गोदावरी के तट पर बसे राजमुंदरी ,आंध्र प्रदेश में 46वीं राष्ट्रीय जूनियर शतरंज प्रतियोगिता (बालक ) और 31 वीं राज्य जूनियर शतरंज स्पर्धा (बालिका ) में बिहार के 14 वर्षीय कुमार गौरव और तमिलनाडू की 15 वर्षीय आर वैशाली नें वर्ष 2016 के अंडर 19 वर्ग के राष्ट्रीय खिताब अपने नाम कर लिए ! बिहार से आने वाले गौरव का गौरवगान बिहार शतरंज में एक नयी जान फूकेगा । उनके हार ना मानने वाले जज्बे की जितनी तारीफ की जाए कम है ! वैशाली जितनी सरल है उनका खेल उतना ही शानदार और जटिल है पिछले कुछ समय से लय खोज रही वैशाली नें एकदम एकतरफा अंदाज में शानदार जीत दर्ज की , नूबेर की वापसी उनके स्तर को दिखा ही गयी और नन्हें उस्ताद रौनक की तारीफ में तो शब्द ही नहीं है ! ओड़ीसा की रुतुंभरा और बंगाल की अर्पिता सभी को बहुत बहुत बधाई !! पढे यह लेख 

नेशनल जूनियर - गौरव की हेट्रिक ,वैशाली की छठी जीत

15/10/2016 -

बिहार के गौरव की लगातार ऊंचे वरीय खिलाड़ियों के खिलाफ जीत की हेट्रिक और वैशाली के रिकॉर्ड छठवीं जीत के साथ ही गोदावरी नदी के किनारे बसे राजमुंदरी ,आंध्र प्रदेश में 46वीं राष्ट्रीय जूनियर शतरंज प्रतियोगिता (बालक ) और 31 वीं राज्य जूनियर शतरंज स्पर्धा (बालिका ) अब अपने बेहद रोमांचक दौर में पहुँच गयी है । भारत के समस्त राज्यो से चयनित होकर आए  करीब सवा दो सौ खिलाड़ी भारतीय टीम में चयनित होने के लिए 11 चक्रो में से 9 चक्र खेल चुके है । बालिका वर्ग में तमिलनाडु की शीर्ष वरीयता प्राप्त इंटरनेशनल मास्टर आर वैशाली नें अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए 1.5 अंको की बढ़त के साथ दो राउंड पूर्व ही लगभग खिताब पर कब्जा जमा लिया है और ऐसे में अब सिर्फ वो ही खुद को रोक सकती है । 9 राउंड के बाद जंहा वैशाली 8 अंक बनाकर सीधी बढ़त पर है जबकि बंगाल की अर्पिता ,तमिलनाडु की प्रियंका ,ओड़ीसा की रुतुंभरा और साइना 6.5 अंको के साथ सयुंक्त दूसरे स्थान पर है । बालक वर्ग में गौरव 7.5 अंको के साथ सीधी बढ़त पर है आंध्र प्रदेश के कृष्णा तेजा ,महाराष्ट्र के शैलेश द्रविड और ओड़ीसा के सिद्धांत मोहपात्रा 7 अंको के साथ दूसरे स्थान पर चल रहे है इस रिपोर्ट में मैंने फीडे के रेटिंग सिस्टम पर भी कुछ बाते रखी है पढे ये लेख !!

पार्श्वनाथ दिल्ली ओपन :: शतरंज महाकुम्भ :: एक यात्रा

12/10/2016 -

किसी भी देश में , किसी भी स्थान पर , किसी भी खेल को आगे बढ़ाने में जितना योगदान कोई एक अच्छा आयोजन कर सकता है उतना शायद कोई अन्य नहीं कर सकता । शतरंज जैसे खेल में कोई आयोजन करना अब भी कोई आसान कार्य नहीं है और अब से 14 साल पहले तो बिलकुल ही आसान ना था , ना तो खेल आज जितना प्रशिद्ध था और ना ही खिलाड़ियों तक जानकारी पहुंचा पाना आसान काम ऐसे में भारत की राजधानी  दिल्ली में शुरुआत हुई एक प्रतियोगिता की जिसकी इनाम राशि रखी गयी कुल 3 लाख आज उसी प्रतियोगिता के सिर्फ एक वर्ग का प्रथम पुरुष्कार 4 लाख रुपेय है और कुल 51,51,000/-रुपेय !! जब प्रतियोगिता की शुरुआत हुई उस समय दिल्ली में कोई ग्रांड मास्टर ना था और इसी प्रतियोगिता नें खेल को ऐसा बढ़ावा दिया की आज दिल्ली परिमार्जन ,अभिजीत ,श्रीराम ,वैभव ,सहज ,आर्यन ,तनिया जैसे नामी ग्रांड मास्टरों का शहर कहलाता है । भारतीय शतरंज के इस  आयोजन के 15 संस्करण के मौके पर अंतर्राष्ट्रीय निर्णायक धर्मेंद्र कुमार की यह शानदार रिपोर्ट पढे ..

छोटा बच्चा जान के ना कोई आँख दिखाना रे !!समझे ना !!

10/10/2016 -

जब मैं 11 साल का था एक सामान्य बच्चे की तरह उछल कूद करना ,किसी ओर के घर जाके टीवी देखना मेरा मुख्य शौक था तभी मैंने एक फिल्म देखी थी नाम था मासूम !! उसमें देखा एक गीत मुझे बहुत पसंद था कल रात 11 वर्ष के दुनिया के सबसे युवा इंटरनेशनल मास्टर और सबसे खास- एक भारतीय प्रग्गानंधा का खेल देखकर और फिर आईएम सागर शाह का लेख पढ़कर मुझे वही गाना अनायास ही बार बार याद आ रहा है..छोटा बच्चा जान के ना कोई आँख दिखाना रे ,अक्ल का कच्चा जान के हमको ना समझाना रे.. भारत में हमेशा से प्रतिभाए मौजूद रही है और जरूरत रहती है पारखी नजरों की जो उन्हे सामने ला सके । आरबी रमेश भारतीय शतरंज के लिए एक वरदान की तरह है जो एक के बाद एक शानदार खिलाड़ी इस देश को दे रहे है । वाकई प्रग्गानंधा आपके भोलेपन , आपकी निडरता और ज्ञान देखकर एक बात बिलकुल साफ है आने वाला समय एक बार फिर भारत में बने इस खेल में भारतीयो के स्थान को और मजबूत करेगा ! आईएम सागर शाह के लेख से ही हिन्दी में इसे लिख रहा हूँ ..पढे इसे  !!

क्या हरिका की जीत विराट कोहली के शतक से कम है !?

09/10/2016 -

आज सुबह जब मैंने समाचार पत्रो को देखा तो मैंने देखा भारत के प्रमुख हिन्दी दैनिक में प्रकाशित मेरे लेख में हरिका के ठीक बाजू विराट कोहली की शतक मारने के बाद की तस्वीर थी ,मन में सवाल यह आया की क्या हारिका की जीत शतक से भी ज्यादा बड़ी खबर नहीं है ? या कम से कम उसके बराबर तो है ही ? फिर क्यूँ ये अन्य समाचार पत्रो में नहीं है ? तो मैंने तकरीबन 3 घंटे ऑनलाइन लगभग देश के सभी समाचार पत्रो को छान मारा । अँग्रेजी के न्यूज़ पेपर तो फिर भी छोटी सी सही पर खबर निकालने में समर्थ दिखे पर हिन्दी समाचार पत्रो में खबर ढूँढना लगभग नामुंकिन सा था । विराट हर जगह विराट थे कंही मुख्य पेज में तो कंही खेल पन्ने के लगभग 60 % से 80 % हिस्से में ।  सिर्फ ओलंपिक ही अन्य खेलो के लिए होता है मतलब 4 साल में एक बार  बाकी समय उन्हे प्रोत्साहित करना तो दूर उन्हे जगह देना भी मुश्किल है ? खैर मेरा उद्देश्य आलोचना करना नहीं जागरूकता फैलाना है ! शतरंज पर वापस आते है और देखे कैसे जीती हारिका !!

भोपाल ओपन 2016 आमंत्रण - हिंदुस्तान का दिल देखो

07/10/2016 -

ठंड की आहट के बीच  गुनगुनी धूप के मजे के साथ भोपाल ओपन टूर्नामेंट का चौंथा संस्करण आगामी 20 दिसंबर से हिंदुस्तान के दिल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित किया जा रहा है । अपने शानदार इंतजामों के लिए जाना जाने वाला यह टूर्नामेंट अब खिलाड़ियों की गुड लिस्ट में स्थान बना चुका है । 1,00,000/- रुपेय के प्रथम पुरुष्कार के साथ कुल 4,15,000 /- रुपेय के कुल पुरुष्कार राशि वाली इस प्रतियोगिता के पहले तीनों संस्करण बेहद सफल रहे है । प्रतियोगिता भोपाल के प्रसिद्ध टीटी नगर स्टेडियम में खेली जावेगी और खिलाड़ियों के रुकने का इंतजाम भोपाल के एमएलए रेस्ट हाउस में किया गया है । प्रतियोगिता का समापन 25 दिसंबर को होगा और आप चाहे तो उसके बाद होने वाली सर्दियों की छुट्टी का आनंद आप मध्य प्रदेश भ्रमण करके भी उठा सकते है !शतरंज खेल के इस उत्सव में आप सभी को आमंत्रित करता यह विनम्र लेख ..

इयान नें जीता ताल मेमोरियल ,आनंद तीसरे स्थान पर

06/10/2016 -

उम्र 26 वर्ष ! देश रूस ! विश्व के 11वे नंबर के खिलाड़ी बने इयान नेपोमनियाचटचि  नें ताल मेमोरियल का खिताब जीत लिया है ।  विश्व शतरंज में रूस का दबदबा तो हमेशा से रहा पर पिछले कुछ वर्षो में रूस के बाहर के खिलाड़ियों नें ही  विश्व शतरंज पर अपना दबदबा रखा है यंहा तक की दुनिया की सबसे बेहतर औसत वाली विश्व नंबर 1 टीम रूस 2002 के बाद से शतरंज ओलंपियाड़ नहीं जीत सका है , पिछले एक दशक में कास्पारोव के जाने के बाद से सिर्फ  क्रामनिक , पीटर ,ग्रीसचुक ही नाम रूस के नाम पर हमे याद आते है , कर्जकिन भी यूक्रेन से रूस आए । खैर मैं यह सब आपको इसीलिए बता रहा हूँ क्यूंकी लगता है रूस को इयान नेपोमनियाचटचि के रूप में अब एक नया बड़ा सितारा मिला है जो विश्व स्तर पर चमकने के लिए तैयार है । भारत के पाँच बार के विश्व विजेता भारत के विश्वनाथन आनंद के लिए भी एक प्रकार से प्रतियोगिता अच्छी साबित हुई और रेटिंग में कम पर महत्वपूर्ण 3 अंको की बढ़त के साथ आनंद तीसरे स्थान पर रहे अंतिम तीन चक्र में उनके मैच ड्रॉ रहे ..

ताल मेमोरियल -R-3-4-5 - वापसी की रोचक दास्तान !!

01/10/2016 -

ताल मेमोरियल के पिछले तीन चक्र आनंद के लिए तीन अलग अलग परिणाम लेकर आए , एक ड्रॉ ,एक हार और एक जीत लेकिन साथ ही साथ नजर आया अनुभव और वापसी का जबरजस्त जज्बा , पाँच बार के विश्व विजेता विश्वनाथन आनंद अब शायद अपने परिणाम की चिंता करना छोड़ वापस अपने खेल में वह सब कुछ प्रयोग करना चाहते है जो वो शायद वे 10 साल पहले करते थे आनंद नें एक बार मुझसे कहा था की मैंने बहुत पहले ही खेल में यह सीख लिया था की आपको पिछला खराब मैच भूलना होगा और मैंने इसे अपनी आदत बना लिया ! आज का मैच आनंद के लिए कुछ ऐसा ही रहा वो सिसिलियन रोसोलिमों में शुरुआत से ही बेहतर थे और फिर अंत में उनका खेल कुछ महान ताल को समर्पित रहा एक मोहरे के बदले 4 प्यादे ! आगे आप खुद समझदार है देखे यह लेख और गिरकर उठने की यह कला भी अपनाए !

ताल मेमोरियल -आनंद ने ममेद्यारोव को हराया ,संयुक्त बढ़त पर

28/09/2016 -

मद्रास टाइगर नींद से जाग चुके है !! भारत के लिए आज ताल मेमोरियल से अच्छी खबर आई है भारत के पाँच विश्व चैम्पियन विश्वनाथन नें अजरबैजान के ग्रांड मास्टर ममेद्यारोव को बेहद ही सधे हुए अंदाज में पराजित कर एक आत्मविश्वास देने वाली जीत दर्ज की पहले राउंड में अनीश गिरि से अच्छा बचाव कर ड्रॉ खेलने वाले आनंद आज भी काफी अच्छी चाले चलते हुए नजर आए , अच्छी बात ये है की वो सही समय पर बेहतर चाल ढूंढ पा रहे है जो उनके अच्छी लय को दिखाती है । अनीश गिरि भी अब जीत दर्ज करने लगे है और कैंडिडैट टूर्नामेंट के बाद उन्होने अपनी शैली में और सुधार किया है ,बाकी सभी मैच ड्रॉ रहे  दो राउंड के बाद भारत के आनंद , नीदरलैंड के अनीश और रूस के इयान नेपोमनियाचटचि 1.5 अंक बनाकर सयुंक्त बढ़त पर चल रहे है । 

बहुत- बहुत धन्यवाद ! महान लेखक मार्क द्वोरेत्स्की !!

27/09/2016 -

किसी के दुनिया से विदा लेने के बाद उनके प्रति सम्मान प्रकट करने का एक ही तरीका है उनके किए गए कार्यो से सीखना । मार्क द्वोरेत्स्की नें अपने लेखन और शोध कार्य से शतरंज को एक नए स्तर पर पहुंचाया उनसे सीखकर ना जाने कितने बेहतर खिलाड़ी बने तो वहीं उनसे सीखकर उनके शोध कार्य को देखकर लेखको और प्रशिक्षको की एक पूरी नयी पीढ़ी तैयार हुई । इनके लेखन कुछ खास बाते उनकी किताबों को बेहद लोकप्रिय और महत्वपूर्ण बनाती है । एंडगेम मेनुएल उनकी सर्वश्रेस्ठ कृति रही । अगर आप शतरंज के अच्छे खिलाड़ियों में आते है तो आइए उसी में से आज कुछ याद करते है और अगर आपने शतरंज अभी सीखना शुरू किया है या किसी को सिखा रहे है तो इस लेख से आपको मार्क द्वोरेत्स्की की महानता का अंदाजा हो जाएगा और यह किताब आपके खेल के स्तर को सुधारने के लिए कितनी जरूरी है आप जान पाएंगे । आइये उनकी किताब में से कुछ सीखकर उन्हे श्रद्धांजलि देते है ..

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